Sunday, 31 May 2015

अब परदे की यारी

अब परदे की यारी

भारत और चीन ने मिलकर फिल्में बनाने का फैसला किया है। फिलहाल तीन फिल्में बनाने की बात तय हुई हैए जिनमें एक सातवीं शताब्दी में भारत की यात्रा पर आए चीनी यात्री ह्वेनसांग के जीवन पर केंद्रित होगी तो दूसरी योग पर। तीसरी फिल्म चीन की सुपर.डुपर हिट श्लॉस्ट इन थॉइलैंडश् की तर्ज पर श्लॉस्ट इन इंडियाश् होगी। कहा जाता है कि लो बजट फिल्म श्लॉस्ट इन थाईलैंडश् ने चीनियों में थाइलैंड टूर पर जाने का जुनून पैदा कर दिया था।

भारत.चीन रिश्ते सुधारने का जो सिलसिला मोदी सरकार की पहल पर शुरू हुआ हैए उसमें सामाजिक.सांस्कृतिक पहलू पर खासा जोर है। दोनों मुल्कों के बीच यह समझदारी विकसित हुई है कि राजनीतिक.कूटनीतिक विवाद रातोंरात नहीं सुलझने वालेए लिहाजा ज्यादा ध्यान आपसी कारोबार बढ़ाने पर दिया जाना चाहिए। बॉलिवुड के लिए चीन में काफी संभावनाएं हैं क्योंकि अमेरिका के बाद दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म मार्केट चीन ही है।

जल्द ही यह नंबर वन बन सकता है क्योंकि चीनी फिल्म बाजार प्रतिवर्ष औसतन 25 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है जबकि अमेरिकी फिल्म बाजार में सिर्फ एक फीसदी की सालाना बढ़त देखी जा रही है। अगर यह प्रवृत्ति बनी रही तो चीन 2017 में ही बॉक्स ऑफिस पर कमाई की दृष्टि से दुनिया का अग्रणी राष्ट्र बन जाएगा। मुश्किल सिर्फ एक है कि चीन में विदेशी फिल्मों को लेकर कुछ बंदिशें हैं। वहां साल में ज्यादा से ज्यादा 36 विदेशी फिल्में दिखाई जा सकती हैंए जिनमें ज्यादातर हॉलिवुड की ही होती हैं।

चीनी प्रेजिडेंट शी चिनफिंग जब सितंबरए 2014 में भारत आए थेए तब यह मुद्दा उठा था। उसी समय मांग रखी गई कि ज्यादा भारतीय फिल्मों के रिलीज की अनुमति दी जाए। उन्होंने इस पर रजामंदी दे दी थी। चीन इस बात के लिए भी तैयार हो गया कि आपसी सहयोग से फिल्में बनाई जाएं ताकि दोनों देशों की जनता एक.दूसरे की संस्कृति से परिचित हो सके।

मोदी के चीन पहुंचने पर यह बात और आगे बढ़ी और अब तीन फिल्मों पर निर्णय हो गया है। धंधे का दूसरा पहलू यह है कि चीन में भारतीय फिल्मों की मांग बढ़ रही है। इस साल पहली बार चीन ने चार भारतीय फिल्में खरीदीं. थ्री इडियट्सए धूम.3ए पीके और हैपी न्यू ईयर। फिलहाल पीके वहां 4ए600 स्क्रीनों पर छाई हुई हैए जबकि थ्री इडियट्स का ज्यादा जलवा डीवीडी पर देखने को मिला।

निश्चय ही बॉलिवुड के लिए यह एक शानदार मौका है। चीनी जुबान में डब की गई फिल्में ताइवान और सिंगापुर में भी अच्छा बिजनेस कर सकती हैं। बॉलिवुड अगर चीनियों का दिल जीत सका तो एक विशाल फिल्म बाजार में उसकी जगह पक्की हो जाएगी। भारत और चीन के मिलकर काम करने से एक नया माहौल भी बनेगाए जिससे रुपहले पर्दे पर हॉलिवुड का दबदबा थोड़ा कम होगा।
SOURCE : http://navbharattimes.indiatimes.com/opinion/editorial/indo-sino-friendship-on-film-screen/articleshow/47472355.cms

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