सोने से पैसा
सरकार ने तिजोरियों और लॉकरों में निष्क्रिय पड़े सोने को सक्रिय अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाने के लिए गोल्ड मॉनिटाइजेशन स्कीम शुरू करने का मन बनाया है। इस तरह की योजनाओं के बीते अनुभव बहुत अच्छे नहीं रहे हैंए फिर भी मोदी सरकार एक चांस लेना चाहती है। गौरतलब है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले बजट में इसका प्रस्ताव रखा था। अब इस पर अमल की प्रक्रिया शुरू कर दी गई हैए लेकिन इसे व्यवहार में लाने के पहले सरकार इस बारे में जनता की राय जानना चाहती है।मंगलवार को इसका ड्राफ्ट जारी किया गया। अगले 15 दिनों तक कोई भी इस बारे में सरकार को अपनी राय दे सकता है। जनता के फीडबैक के आधार पर ही इसका अंतिम प्रारूप तय होगा। ड्राफ्ट के मुताबिक कोई भी संस्था या व्यक्ति कम से कम 30 ग्राम सोना बैंक में जमा कर सकता हैए जो गहनेए सिक्के या बिस्किटए किसी भी रूप में हो सकता है। जमा करने की अवधि कम से कम एक साल होगी। बाद में इसे एक.एक साल के लिए बढ़ाया भी जा सकता है। बैंक जमा सोने पर अपने हिसाब से ब्याज दर तय करेंगेए जिसे नकद या सोने के रूप में लिया जा सकता है। लेकिन ब्याज का रूप सोना जमा करने के समय ही तय कर लेना होगा। देश में मानक ब्यूरो द्वारा मान्यता प्राप्त 350 हॉलमार्क केंद्रों में सोने की शुद्धता की जांच करवानी होगी।
बैंक वहां से जारी शुद्धता और वजन के सर्टिफिकेट के आधार पर ही सोना जमा करेंगे। सबसे बड़ी बात यह कि जमा सोने पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं लगेगा। लेकिन ध्यान रहेए आपको वही सोना वापस नहीं मिलने वालाए जो आपने जमा किया है। दरअसल बैंकों को जमा सोने को गलाकर सिल्ली के रूप में अपने पास रखने या सिक्के के रूप में बेचने की स्वतंत्रता रहेगी।
अनुमान है कि हमारे देश में अभी घरोंए मंदिरों और विभिन्न संस्थानों के पास करीब 20 हजार टन सोना पड़ा हैए जिसकी कीमत लगभग 60 लाख करोड़ रुपये है। अगर इसका एक छोटा हिस्सा भी बैंकों के पास आ गया तो उनकी कर्ज देने की क्षमता बहुत बढ़ जाएगी। इससे सोने के आयात में कमी भी आएगीए जो एक अर्से से भारत के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द बना हुआ है।
हर साल हम 800 से एक हजार टन सोना आयात करते हैं। आयात घटेगा तो विदेशी मुद्रा बचेगी। लेकिन यह सब तब होगा जब जनता इस स्कीम को हाथोंहाथ लेगी। भारतीय परिवारों में गहनों का एक आनुष्ठानिक और भावनात्मक महत्व भी होता है। इसलिए शायद ही कोई महिला बैंकों को अपने गहने गलाने के लिए देना पसंद करे।
हमारे देश में काले धन का एक बड़ा हिस्सा सोने के ही रूप में मौजूद है। ऐसा सोना रखने वाले भी इसे सरकार की नजर में लाने से बचेंगे। स्कीम की सफलता एक हद तक गोल्ड डिपॉजिट की ब्याज दरों पर भी निर्भर करेगी। लेकिन इस सारे अगर.मगर के बावजूद यह एक दिलचस्प योजना है और इसके नतीजों का इंतजार बेसब्री से किया जाएगा।
SOURCE : navbharattimes.com/editorial
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