ज़िंदगी लीलता अंधविश्वास का अंधेरा
एक छोटी.सी हृदय विदारक खबर ने इतना ध्यान खींचा और परेशान किया कि मन लगातार खिन्न रहा। खबर तो कुछ ही पंक्तियों की थीए मगर उसके निहितार्थ बहुत बड़े थे। क्या सचमुच यह सदी का भारत है जहां हम मंगल पर बसने के सपने देख रहे हैं।
खबर कुछ इस तरह थी। मध्य प्रदेश के सतना के एक अनाथालय से वाराणसी के एक जोड़े ने एक बच्ची को गोद लिया मगर छह महीने बाद ही वे उस बच्ची को लौटाने आ गए। लौटाने का कारण बड़ा विचित्र बताया गया। कहा गया कि एक ज्योतिषी ने बच्ची की कुंडली देखकर कहा है कि न तो वह बच्ची खुद कभी सुखी रहेगीए न ही वे लोग जिन्होंने उसे गोद लिया है।अनाथालय के अधिकारियों ने पति.पत्नी को बहुत समझाने की कोशिश की और कहा कि वे किसी ज्योतिषी के कहने भर से इस तरह बच्ची के भविष्य से खिलवाड़ न करें। मगर पति.पत्नी अपनी बात से टस से मस नहीं हुए और किसी भी तरह उसे अपने साथ ले जाने को राजी नहीं हुए। वे अदालत में भी अपनी बात पर अड़े रहे जहां उन्हें कानूनन बच्ची को लौटाना था।
जरा कल्पना कीजिए कि तीन साल की उस बच्ची पर क्या बीती होगीए उसने कैसा महसूस किया होगाए जिन्हें वह छह महीने से माता.पिता मानती आई थी। वे उसे इस तरह छोड़कर चले जाएंगेए उसे पता तक न होगा। कायदे से तो उस ज्योतिषी को सजा मिलनी चाहिए जिसने एक बच्ची के जीवन को बरबाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
कोई ज्योतिष में विश्वास करेए यह तो ठीक है लेकिन आंख मूंदकर ऐसी बातों पर विश्वास करने के बाद के किस्से अकसर अखबारों में छपते रहते हैं जहां किसी ज्योतिषीए तांत्रिकए पीरए फकीर के बहकाने पर लोग अपने बच्चोंए पत्नी या किसी का अपहरण करके बलि तक चढ़ा देते हैं या अपने धन और सम्पदा से हाथ धो बैठते हैं।
उस बेचारी बच्ची का तो दुर्भाग्य उसी दिन से शुरू हो गया था जब उसके ही घर वालों ने उसे सड़क या कूड़े के ढेर पर फेंक दियाए बिना इस बात की परवाह किए कि वहां फेंके जाने पर बच्ची का क्या होगा। जिन लोगों ने उसे बचाया होगाए वे भी नहीं जानते होंगे कि उस नन्ही.सी बच्ची को आगे कैसे दिन देखने पड़ेंगे।
हमारे यहां एक तरफ तो नवरात्रि के दिनों में छोटी.छोटी बच्चियों को ढूंढ़कर पूजनेए खिलाने और पांव धोने की होड़ लगी रहती है लेकिन इस नन्ही बच्ची में किसी को देवी दिखना तो दूरए उसके जिंदा रहने के अधिकार को भी एक निर्मम ज्योतिषी और उसकी सलाह मानकर बच्ची को वापस अनाथालय में छोड़कर आने वाले माता.पिता ने छीनने की कोशिश की।
क्या इस तरह का व्यवहार मानव अधिकारों और बालिका के अधिकारों की वकालत करने वालों को दिखाई नहीं देता। या सिर्फ उन्हें वे ही चीजें दिखती हैं जिसके राजनीतिक फायदे.नुकसान हो सकते हैं। कायदे से तो उन माता.पिता पर भारी जुर्माना किया जाना चाहिएए जिन्होंने एक बच्ची के साथ इतना बुरा व्यवहार किया।
हालीवुड की मशहूर अभिनेत्री एंजिलिना जौली और उनके पति ब्रेड पिट के छह बच्चे हैं। इनमें से तीन इनके अपने हैं और तीन को इन्होंने दुनिया के अलग.अलग हिस्सों से गोद लिया है। हाल ही में एंजिलिना जौली ने कहा था कि वह सीरिया के तनावग्रस्त इलाके से भी एक बच्चा गोद लेना चाहती हैं। बालीवुड अभिनेत्री सुष्मिता सेन जो कि अविवाहित हैंए ने एक बच्ची रीनी को गोद लिया था। फिर वह दूसरी बच्ची को गोद लेना चाहती थीं मगर कानून इसकी इजाजत नहीं देता था। इसके लिए उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ी और दूसरी बच्ची एलिशा को गोद लिया। आज वह इन दोनों बच्चियों की मां हैं।
इसी प्रकार अभिनेत्री रवीना टंडन ने भी अपने विवाह से पहले दो बच्चियों को गोद लिया था। अभिनेत्री नीना गुप्ता ने तो अविवाहित रहते हुए एक बच्ची मसाबा को जन्म दिया था। आज मसाबा एक मशहूर फैशन डिजाइनर है।
वाराणसी के परिवार ने अगर इन अभिनेत्रियों से ही कुछ सीखा होता तो शायद बच्ची को इस तरह दरबदर न होना पड़ता।
SOURCE : http://dainiktribuneonline.com/2015/05/
No comments:
Post a Comment