Wednesday, 13 May 2015

सीमा समझौता

सीमा समझौता

भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नयी छवि गड़ने के दौर में है। स्थिर संबंधों में हलचल और सकारात्मक बदलाव के दौर मोदी सरकार आने के बाद से लगातार दिखाई पड़ रहे हैं। भारत.बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों में एक अहम भूमिका रखने वाले 119वें संविधान संशोधन विधेयक के लोकसभा में पास होते ही कई समस्यायों के जड़ से ख़त्म हो जाने की उम्मीद भी जग गयी है। दरअसल यह विधेयक भारत और बांग्लादेश के आपसी संबंधों के बीच कई विवाद और उनके रणनीतिक निहितार्थों की एक लम्बी बानगी है। बांग्लादेशी अवैध प्रवजन का मामला हो या अवैध तस्करी और घुसपैठ का मुद्दाए इन समस्याअों का कारण भारत और बांग्लादेश की विवादित और खुली सीमा रेखा माना जाता रहा है।
अब जरा समझते हैं कि कैसे यह संविधान संशोधन भारत.बांग्लादेश सीमा विवाद को हल कर देगा। दरअसल भारत के विभाजन के बाद जब पाकिस्तान का जन्म हुआ तो पूर्वी.पाकिस्तान ;वर्तमान बांग्लादेशद्ध और भारत के बीच उन क्षेत्रों का भी बंटवारा हुआ जो कभी रियासतों के रूप में भारत में हुआ करते थे। जिन क्षेत्रों को लेकर विवाद चल रहा था वो कूच बिहार के राजा और रंगपुर के नवाब के बीच शतरंज की बिसात पर लगाये गए थे। विभाजन के बाद कुल 162 एन्क्लेवों में से 111 भारतीय एन्क्लेव बांग्लादेश में और 51 बांग्लादेशी एन्क्लेव भारत में आ गयीं। दोनों देशों की साझा सांस्कृतिक और भाषायी विरासत के चलते सीमाएं भले ही भिन्न हों लेकिन जुड़ाव बना रहा। बांग्लादेश में संसाधनों की कमी के चलते अवैध बांग्लादेशी रोजगार के लिए भारत की ओर कानूनी और गैर.कानूनी तौर पर पलायन करने लगे।
दोनों देशों के बीच सीमाई समझौते को संवैधानिक आधार मिलने से भारत और बांग्लादेश के मध्य कई समस्याअों के हल हो जाने का रास्ता खुल गया है। भले ही भारत को एक बड़े भूभाग पर अपनी संप्रभुता को छोड़कर अपने मानचित्र को भी थोड़ा परिवर्तित करना पड़ेगा लेकिन इससे वर्षों से चले आ रहे अवैध बांग्लादेशियों के प्रवजन को रोकने में सफलता भी मिलेगी। बांग्लादेश भू.भाग में रह रहे भारतीयों को भारत की नागरिकता देने का भी प्रावधान है और भारतीय क्षेत्र पर रह रहे बांग्लादेशियों को चिन्हित कर उन्हें अपने देश भेजा जायेगा। दरअसल भारत और बांग्लादेश के सीमाई.विवाद का हल होना जितना भारत.बांग्लादेश संबंधों के लिए अहम हैए उससे कहीं ज्यादा यह भारत के पड़ोसी मुल्कों के सन्दर्भ में एक खासा रणनीतिक महत्व रखता है।
मोदी की चीन यात्रा से पहले बांग्लादेश के साथ समझौते पर आखिरी मोहर लगना एक खासा महत्व रखता है और प्रधानमंत्री मोदी ने संकेत भी दिये कि वो चीन के साथ सभी विवादों का शांति पूर्ण हल चाहते हैं। हालांकि चीन जिस तरह अरुणाचल प्रदेश को लेकर अपनी आपत्ति जाहिर करता हैए उसका कोई हल नहीं निकल सकता सिवाय इसके कि चीन अरुणाचल को भारत का अभिन्न हिस्सा स्वीकार कर ले। दरअसल चीन की कूटनीति में बार्गेनिंग का अहम स्थान है और वो किसी एक क्षेत्र को विवाद में रखकर किसी दूसरे हिस्से का हल ढूंढ़ता है। इस समझौते ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह भी सिद्ध किया है कि बिना युद्ध के भी विवाद सुलझाये जा सकते हैं।
भारत को अब बांग्लादेश की सीमा पर विस्तृत फैंसिंग करके अवैध आवाजाही को पूर्ण रूप से रोकना चाहिए क्योंकि यह जहां भारत की आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से अहम है वहीं भारत में मादक द्रव्यों की तस्करी को रोकने के लिहाज से यह क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है। ड्रग्स की तस्करी के लिए मशहूर म्यांमारए थाईलैंड और लाओस के क्षेत्र से गैरकानूनी तरीके से मादक पदार्थ या तो म्यांमार के जरिये भारत आते हैं या बांग्लादेश के जरिये । अब बांग्लादेश की सीमा पर कड़ाई से ऐसी हरकतों को रोकने में मदद मिलेगी।
सरकार ने यद्यपि सीमा विवाद की दिशा में एक बड़ी सफलता हासिल की है लेकिन अभी भी सरकार को आवाजाही को वैध बनाने के लिए नियमों को सरल बनाना चाहिए। बांग्लादेशी नागरिकों का अवैध प्रवजन पश्चिम बंगालए त्रिपुराए असम और अन्य पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए एक समस्या बना हुआ है। असम व त्रिपुरा में बढ़ते प्रवजकों की संख्या कभी.कभी सांप्रदायिक हिंसा का कारण बनती है। सरकार को अब सीमा निर्धारण के पश्चात नागरिकता सम्बन्धी मुद्दों को हल करके भारत में अवैध रूप से बस रहे बांग्लादेशियों को वापस उनके देश भेजना चाहिए।
सीमा मुद्दा हल होने से एक बड़ा फायदा यह भी हुआ है कि अब उन लोगों को भी नागरिक सुविधाएं मिल सकेंगी जो कि सीमा विवाद के चलते नागरिकता से मुक्त थे। यदि कूटनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो पाकिस्तान को भारत और बांग्लादेश की बढ़ती नजदीकियां अच्छी नहीं लगेंगी। अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत ने यह दिखा दिया है कि नाभिकीय रूप से संपन्न होते हुए भी भारत बातचीत के मंच पर ही विवाद को सुलझाना चाहता है। विदेश नीति पर सजग दिख रही मोदी सरकार की इसे एक सफलता माना जा सकता है।

SOURCE : DAINIKTRIBUNEONLINE.COM

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