राहत पर भारी आफत
कभी.कभी ये चैनल वाले आंधीए तूफानए बारिशए बाढ़ए भूकम्पए सुनामीए हुदहुदए बवंडरए चक्रवात के बिछुड़े भाई से लगते हैं। जहां वेए वहां ये। जितना खौफ आपदा नहीं फैलातीए उससे ज्यादा रायते की तरह ये फैला देते हैं। जितनी अफवाहें नहीं फैलतीए उससे ज्यादा सावधान रहने के नाम पर ये फैला देते हैं। कहीं जलजला आ जाएए तो दूसरा जलजला ये ले आते हैंए इस आदर्श वाक्य के साथ कि कहिए३ कैसा लग रहा हैघ्
राहत सामग्री से ज्यादा हेलीकॉप्टर में ये लदे हैं। आपदा क्षेत्र में सौ.पचास हेलीकॉप्टर तो इनको लिए ही उड़ रहे हैं। हेलीकॉप्टर का हाल लोकल सवारी बस जैसा हो जाता है। पहले ये ठूंसे जाते हैंए जगह बच जाए तो थोड़ी बहुत राहत सामग्री भी आ लेती है। जगह होए तो दो.चार फंसे लोग भी निकाल लिए जाते हैं। फिर ये दिखाते हैं कि राहत सामग्री ऊंट के मुंह में जीरा है। यह सुन पायलट का भी जी करता होगा कि राहत सामग्री के साथ इन्हें लेकर न आता तो सच में अच्छी.खासी राहत हो जाती।हेलीकॉप्टर कहीं फंसे लोगों को रेस्क्यू करने जाएए तो पहले ये धंसते हैं। रेस्क्यू टीम के दो.चार लोग भले पीछे छूट जाएंए पर इनका होना जरूरी है। रेस्क्यू करने से रेस्क्यू करते दिखाना महत्वपूर्ण है। दिखाना इनके लिए परमोधर्म है। निकाले गए लोगों का उपचार से ज्यादा इंटरव्यू जरूरी है। रेस्क्यू भी तभी शुरू होता हैए जब ये मंगलाचरण की तरह हालात का बखान न कर दें! ये आधुनिक युग के विनायक हैंए हर काम से पहले पूजे जाते हैं। निकाले गए घायल व्यक्ति पर पहला हक भी इन्हीं का होता हैए जिस पर इनका सवाल वज्रपात की तरह टूटता है कि कहिएए कैसा लग रहा हैघ् अब कहिए वह घायल व्यक्ति क्या जवाब दे!
परिदृश्य में बड़े धांसू कॉमेडी सीन से उभर आते हैं। हेलीकॉप्टर में खुद लदे हैंए एक पूरा पीडि़त परिवार ठीक से बैठ नहीं पा रहा है और ऊपर से सवाल यह कि क्या आपको लगता हैए हेलीकॉप्टर कम लोगों को निकाल पा रहे हैंघ् पीडि़त की मौन स्वीकृति ही इनके लिए बड़ी वाली हां होती है। कई बार तो रोते आदमी से इस अदा से सवाल करते हैं कि अबे रो बाद में लेनाए पहले जवाब तो दे दे। हो सकता है भविष्य में घायल की मरहम पट्टीए प्लास्टर हटाकर घाव की गहराई भी जूम करके दिखाने लग जाएं। स्टूडियो में बैठे डॉक्टर एनालिसिस करके बताएंगे कि घावों को देखकर लगता है तबाही कितनी भयावह है! और फिर जो बचे हैंए वे सवालों के भूकम्प से मरणासन्न स्थिति में पहुंच जाते हैं।
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