Wednesday, 20 May 2015

नजीब.केजरीवाल जंग

नजीब-केजरीवाल जंग

दिल्ली में कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल में छिड़ी जंग देश के संघीय ढांचे के साथ.साथ उस टीम इंडिया भावना के भी प्रतिकूल हैए जिसका आह्वान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकसर करते रहते हैं। दिल्ली के मुख्य सचिव के अवकाश पर जाने के कारण उपराज्यपाल ने शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त किया है। यह नियुक्ति इसलिए विवाद और विरोध का कारण बन गयी है क्योंकि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार इसके विरुद्ध रही है। मुख्यमंत्री केजरीवाल न सिर्फ इस नियुक्ति का खुला विरोध कर रहे हैंए बल्कि उन्होंने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर आप सरकार को विफल करने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया है। उधर भाजपानीत केंद्र सरकार के गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने केजरीवाल के इस रुख को पूर्वोत्तर लोगों को आहत करने वाला करार देकर एक नया विवाद खड़ा करने की कोशिश की है। जाहिर हैए इस सबसे देश में संघीय व्यवस्था को लेकर कोई बहुत सकारात्मक संदेश नहीं जा रहा। रिजिजू दिल्ली के मुख्यमंत्री को नसीहत दे रहे हैं कि उन्हें पूर्ण राज्य और केंद्र शासित राज्य के बीच का फर्क समझते हुए पूर्ण राज्य के मुख्यमंत्री की तरह आचरण करने से बचना चाहिए। बेशक यह सच है कि तमाम दलों के वायदों के बावजूद दिल्ली को आज तक पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया गया हैए जो हमारे राजनीतिक दलों.नेताओं की विश्वसनीयता पर भी सवालिया निशान है।
इसके बावजूद कार्यवाहक मुख्य सचिव की नियुक्ति पर उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच टकराव को जायज नहीं ठहराया जा सकता। आखिर राज्य की महत्वपूर्ण नियुक्तियों में राज्य सरकार की सलाह मानने की परंपरा का दिल्ली में पालन क्यों नहीं किया जाना चाहिएघ् दिल्ली सरकार के विरोध के बावजूद गैमलिन को ही कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त करने की अपनी जिद का औचित्य केंद्र सरकार और उसके प्रतिनिधि उपराज्यपाल को भी बताना ही चाहिएघ् अब जबकि केजरीवाल ने गैमलिन की रिलायंस के स्वामित्व वाली निजी बिजली कंपनियों से निकटता और उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए दिल्ली के बिजली मंत्री से 11000 करोड़ रुपये के ऋण गारंटी पत्र पर हस्ताक्षर कराने की नाकाम कोशिश का खुलासा किया हैए तब तो केंद्र और उपराज्यपाल की जवाबदेही और भी जरूरी हो जाती है। केजरीवाल के आरोपों का सच सामने आना ही चाहिए। पिछले दिनों ही प्रधानमंत्री मोदी ने अपना प्रिय जुमला फिर दोहराया था कि वह चाहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकारें देश के विकास के लिए टीम इंडिया की तरह मिलकर प्रयास करें। बेशक यह बेहद सकारात्मक सोच है और देश के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी भी हैए लेकिन इसके वांछित परिणाम तभी मिल पायेंगेए जब इस पर अमल किया जायेगा। ऐसी सोच के सच का संदेश देश के दिल दिल्ली से ही जाये तो ज्यादा प्रभावी और परिणामदायी साबित होगा।
SOURCE : DAINIKTRIBUNEONLINE.COM

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