पगार चकाचक
इकॉनमी के मोर्चे पर बढ़ती मुश्किलों के बीच कम से कम सैलरीड तबकों के लिए यह खबर राहत देने वाली है कि भारतीय कंपनियां इस साल उन्हें बेहतर सैलरी हाइक देने की तैयारी में हैं। ग्लोबल एचआर कन्सल्टिंग फर्म टावर्स वॉटसन की 2015.16 की एशिया.पैसिफिक सैलरी बजट प्लानिंग रिपोर्ट पर यकीन करें तो भारतीय उद्योग जगत इस बार अपने एंप्लॉयीज को औसतन 10ण्8 फीसदी की हाइक देने की सोच रहा है।
पड़ोसी देशों की स्थिति पर नजर डालें तो इस आंकड़े की अहमियत और साफ हो जाती है। इंडोनेशिया में 9ण्5 फीसदीए चीन में 8ण्6 फीसदी और फिलीपींस में 6ण्7 फीसदी ही बढ़ोतरी के आसार हैं। हालांकि इंडस्ट्री के सामने मौजूद चुनौतियों पर नजर डालें तो हालात बहुत अच्छे नहीं नजर आतेए लेकिन टावर्स वॉटसन के मुताबिक महंगाई दर में कमीए घटती तेल कीमतें और बाजार में अनुकूल माहौल की बदौलत भारत में ऐसी आकर्षक वेतन वृद्धि के आसार बने हैं।
19 देशों की करीब 2000 कंपनियों से मिले जवाबों के आधार पर तैयार की गई इस रिपोर्ट में श्वास्तविक वेतन वृद्धिश् यानी महंगाई को एक तरफ रखकर बढ़ाई गई तनख्वाह पर विचार किया गया है। इस लिहाज से भी इस बार की बढ़ोतरी हाल के वर्षों में सबसे आकर्षक जान पड़ती है। महंगाई दर काबू में होने की वजह से कर्मचारियों का वास्तविक सैलरी इन्क्रीमेंट अच्छा खासा हो जाएगा। पिछले साल मोटे तौर पर सैलरी हाइक 10ण्5 फीसदी हुई थीए मगर महंगाई दर 7ण्2 फीसदी होने के चलते कर्मचारियों की जेब तक पहुंचा वास्तविक फायदा 3ण्3 फीसदी ही रहा। 2013 में तो और बुरा हाल था। सैलरी हाइक थी 10ण्3 फीसदीए पर महंगाई दर रही 10 फीसदी। यानी कर्मचारियों को महज 0ण्3 फीसदी वृद्धि पर ही संतोष करना पड़ा। यानी कुल मिला कर यह साल कर्मचारियों के लिहाज से काफी फायदेमंद रहने वाला है।
अगले साल पर जरूर कुछ आशंकाओं के बादल मंडराते दिख रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अभी 2016 के बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन रिपोर्ट मानती है कि अगले साल भी वेतन में बढ़ोतरी का प्रतिशत इसी साल के आसपास रहने की संभावना है। तेल कीमतों में उलटफेर का डर और कमजोर मानसून की भविष्यवाणी महंगाई के मोर्चे पर ज्यादा आशावादी होने की इजाजत नहीं देतीए लेकिन वित्त मंत्री ने जिस तरह आर्थिक सुधारों की राह पर तेजी से आगे बढ़ने के सुदृढ़ इरादे जाहिर किए हैंए उन्हें अगर अमल में उतारा जा सका तो अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार इधर.उधर से आने वाली मुश्किलों का इलाज खुद ही ढूंढ लेगी।
कुल मिलाकर हाल यह है कि किसानों और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए अभी हालात जितने चिंताजनक बने हुए हैंए उसकी तुलना में कर्मचारियों का मामला बिल्कुल अलग है। अगर आप अपनी कंपनी को अपना बेस्ट देने को तैयार हैं तो आपकी कंपनी के पास आपको खुश रखने का पूरा इंतजाम है।
SOURCE : http://navbharattimes.indiatimes.com/opinion/editorial/salary-spick-and-span/articleshow/47738705.cms
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