Thursday, 25 June 2015

ऑनलाइन शिक्षा.परीक्षा भी विकल्प

ऑनलाइन शिक्षा.परीक्षा भी विकल्प 

देश में अब शायद ही कोई ऐसी भर्ती या प्रतियोगी परीक्षा बची होगी जिसमें नकल और पेपरलीक जैसी समस्या सामने न आई हो। ये कारनामे कानून की नजर में अपराध हैंए लेकिन हाईस्कूलए इंटरमीडिएट और स्नातक स्तर से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं तक में देश के कोने.कोने से खुलेआम नकल की खबरें भी लगातार आ रही हैं। इधर रेलवे ने ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए ऑनलाइन परीक्षा के एक उपाय पर अमल करने के बारे में सोचा है।
भारतीय रेलवे में 25 से 30 हजार रिक्त पदों पर भर्तियों की तैयारी चल रही हैं। ये पद अगले साल तक भरे जाने हैं। भर्ती का तरीका क्या होए इस पर रेलवे में मंथन चल रहा है क्योंकि प्रश्नपत्र और उत्तर.पुस्तिका वाले प्रचलित विकल्प से परीक्षा कराने की काफी ज्यादा खामियां इधर उजागर हुई हैं। खास तौर पर हाल ही में जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया प्री.मेडिकल टेस्ट.2105 को रद्द कर परीक्षा दोबारा कराने को कहा हैए उससे परीक्षा तंत्र का यह गंभीर मर्ज फिर से उजागर हुआ है। इस परीक्षा में बैठे छह लाख से ज्यादा छात्रों के लिए यह सच में हैरानी की बात है कि ऐसे महज 44 छात्रों की करतूत की सज़ा उन्हें भी मिली हैए जिन्होंने इसका पर्चा लीक कराया था। रेलवे की भर्ती परीक्षा में ऐसा न होए इसके लिए ऑनलाइन परीक्षा का विकल्प अपनाने की बात हो रही है। माना जा रहा है कि ऑनलाइन परीक्षा से पेपरलीक और नकल का एक साथ तोड़ निकल आएगा।
आईटी में अगुवा होने और साइंस के मामले में काफी बढ़त हासिल कर लेने का तब तक कोई फायदा नहीं हैए जब तक कि देश में ज्यादातर परीक्षाएं ऑनलाइन कराने का इंतजाम नहीं हो जाता है। हालांकिए देश में पिछले करीब आधे दशक के दौरान कई प्रतिष्ठित कोर्सों और पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षाएं ऑनलाइन होने लगी हैं और शुरुआती दिक्कतों के बाद अब उनका समुचित संचालन होने लगा है। लेकिन अभी भी कई परीक्षाएं पारंपरिक तरीकों से संचालित की जा रही हैं। यूं इस बीच ऑनलाइन परीक्षाओं की कुछ समस्याएं भी उजागर हो चुकी हैंए जैसे परीक्षा लिए जाते वक्त सर्वर के ठीक से काम नहीं करने के कारण परीक्षा में बाधा पड़ना अथवा देश के दूर.दराज के अभ्यर्थियों का कंप्यूटर.इंटरनेट साक्षर नहीं होना। लेकिन अब यह ध्यान में रखना चाहिए कि कंप्यूटर और इंटरनेट की जानकारी के बिना किसी भी नौकरी या रोजगार में अभ्यर्थी अपने अलावा उन लोगों के लिए भी समस्या बन सकता है जिनका कामकाज के दौरान उसे सामना करना है। रेलगाड़ियों के संचालन से लेकर टिकटिंग तक के काम में कंप्यूटर.इंटरनेट जरूरी हो गया है। ऐसे में कम से कम भर्ती परीक्षाओं को ऑनलाइन करने का अर्थ ऐसे युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता देना होगा जो इन तकनीकों के जानकार होंगे और अवसर आने पर वे कंप्यूटर.इंटरनेट की सहायता से तेजी के साथ काम कर सकेंगे।
दरअसलए शिक्षा को भी यानी कई जरूरी पाठ्यक्रमों को भी ऑनलाइन किया जाना चाहिए। कई प्रोफेशनल कोर्स जैसे कि आईआईटी या आईआईएम जैसी शिक्षा को ऑनलाइन किए जाने की दिशा में सरकार खुद प्रयासरत है। पिछले ही साल मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ष्स्वयंष् यानी ष्स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव दृ लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंडष् नाम से जो परियोजना शुरू की है उसका उद्देश्य युवाओं को आईआईटीए आईआईएम जैसे देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों की पढ़ाई घर बैठे कराना है। इस योजना के तहत आईआईटीए आईआईएम और सेंट्रल यूनिवर्सिटी अपने.अपने कोर्स युवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराएंगी। ये कोर्स पहले चरण में चार आईआईटी ;आईआईटी बॉम्बेए चेन्नईए कानपुर और गुवाहाटीद्धए दो आईआईएम ;आईआईएम बेंगलुरु और कोलकाताद्ध और तीन सेंट्रल यूनिवर्सिटियों ;जेएनयूए बीएचयू और इग्नूद्ध से शुरू कराए जाने हैं। इनके जरिये शुरुआत में पांच विषयों ;इंजीनियरिंगए सोशल साइंसए एनर्जीए मैनेजमेंट और बेसिक साइंसद्ध पर ऑनलाइन पढ़ाई कराई जाएगी। खास तौर से यह देखते हुए कि देश के प्रतिष्ठित आईआईटीए आईआईएम जैसे संस्थानों में गिनती की सीटें उपलब्ध होती हैंए ऐसे ऑनलाइन कोर्स एक बड़ा समाधान साबित हो सकते हैं। यह भी ध्यान में रखने योग्य है कि हर साल इन संस्थानों में दाखिला पाने की होड़ में हजारों.लाखों छात्र पिछड़ जाते हैं।
प्रतिभाशाली युवाओं की पहचान और उन्हें किसी कोर्स या नौकरी में अवसर देने के लिए ली जाने वाली परीक्षा में भी पारदर्शिता जरूरी है ताकि योग्यता का चयन हो सके। ऑनलाइन शिक्षा और परीक्षा ने इन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर दिया है। हालांकि ये समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं कि शिक्षा उन लोगों तक नहीं पहुंच पा रही हैए जो उसे हासिल करना चाहते हैं। जैसे अभी भी हर साल हजारों छात्र सिर्फ इसलिए अपने मनमाफिक कोर्सों में दाखिला नहीं ले पातेए क्योंकि वे जो कोर्स करना चाहते हैंए वे उनके घर से बहुत दूर स्थित विश्वविद्यालयों या संस्थानों में कराए जा रहे होते हैं जहां पहुंचना काफी मुश्किल रहता है। भौगोलिक दूरियां उनके प्रयास में बाधा बनती है। इसके अलावाए जनसंख्या के अनुपात में प्रायरू सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों में उतनी सीटें नहीं होतीं कि सभी इच्छुक छात्रों को दाखिला मिल सके। साथ हीए विश्वविद्यालयों में रहकर यानी कैंपस एजुकेशन पाने के लिए वक्त और धन की कमी भी एक बाधा बनती हैं। चौथेए कई जगहों.राज्यों तक में ऐसे मान्यताप्राप्त या प्रतिष्ठित संस्थान नहीं होते हैंए जहां की गई पढ़ाई कोई ढंग का रोजगार दिला सके। इन समस्याओं का एक समाधान ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा का विकल्प आजमाना ही है। अब तो खुद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ;यूजीसीद्ध भी दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से पीएचडी की इजाजत देने के प्रयास कर रहा है। इससे देश में उन शोधार्थियों को मौका मिलेगा जो नए क्षेत्रों में अनुसंधान कर कुछ मौलिक काम करना चाहते हैं। यही नहींए आईआईएम और आईआईटी जैसे संस्थानों में शिक्षा पाने का जो स्वप्न हजारों युवा देखते हैंए उसे पूरा करने का एक उपाय यही है कि इन महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों के कोर्सों को इंटरनेट के जरिए मुहैया कराया जाए यानी इन्हें ऑनलाइन किया जाए।
उच्च शिक्षा में इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी और अन्नामलाई विश्वविद्यालय काफी लंबे अरसे से दूरस्थ शिक्षा मुहैया करा रहे हैंए पर उनके जरिये शिक्षा पाना छात्रों को आसान नहीं लगता क्योंकि उनमें पाठ्यक्रमों के मुश्किल अध्यायों.सवालों का सही समाधान उनके स्टडी सेंटर नहीं दे पाते हैं। नेशनल ओपन स्कूल की डिस्टेंस लर्निंग एजूकेशन को कभी शिक्षा के संबंध में एक महान प्रयोग माना जाता थाए पर बाद में साबित हुआ है कि इसके जरिए हाईस्कूल करने वाले छात्रों काे आगे दाखिला लेने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए उच्च शिक्षा और आईआईएम व आईआईटी जैसे प्रोफेशनल कोर्सों को ऑनलाइन किए जाने की सार्थकता तभी हैए जब उन्हें करने वाले छात्रों को शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में कैंपस एजुकेशन पाने वालों के समकक्ष रखा जाए। ऑनलाइन शिक्षा और परीक्षा का विकल्प देते समय यह ध्यान में रखना होगा कि वे कोर्स और उनका मूल्यांकन कहीं से कमजोर न हो।
SOURCE : http://dainiktribuneonline.com/2015/06/

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