हत्या और बेशर्मी
पत्रकार जगेंद्र सिंह की निर्मम हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार का रुख शुरू से तकलीफदेह थाए लेकिन अब तो यह शर्मनाक हो गया है। सरकार के एक मंत्री के खिलाफ इस मामले में नामजद एफआईआर और श्डाइंग डिक्लेयरेशनश् मौजूद है। जगेंद्र सिंह ने अपनी मृत्यु से पहले दर्ज कराए गए बयान में बाकायदा नाम लेकर पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री राम मूर्ति वर्मा को इसके लिए जिम्मेदार बताया है। सरकार का कहना है कि जांच पूरी होने से पहले वह मंत्री को पद से नहीं हटा सकती। लेकिन यह तर्क तो उन पांच पुलिसकर्मियों पर भी लागू होता हैए जिन्हें जांच के दौरान निलंबित रखने का फैसला किया गया है।
किसी सत्तारूढ़ व्यक्ति को उसके पद से हटाने का अर्थ उसे दोषी करार देना नहीं है। भरोसेमंद जांच में निर्दोष पाए जाने के बाद राम मूर्ति वर्मा को सरकार जब चाहे तब मंत्री पद पर वापस ला सकती है। लेकिन यह छोटा सा कदम उठाकर अपनी साख बहाल रखने के बजाय सत्तारूढ़ दल के नेता तरह.तरह की बातें बना रहे हैं। कोई पत्रकार की मृत्यु के लिए नियति और प्रकृति को जिम्मेदार ठहरा रहा हैए कोई गीता का श्लोक सुना रहा हैए कोई बता रहा है कि उसके मंत्री हमेशा ही जांच के बाद बेदाग पाए गए हैंए लिहाजा जांच से पहले मंत्री को पद से हटाने का कोई मतलब नहीं बनता। पता नहीं सरकार को यह एहसास है या नहींए पर ये सारे बयान देश के इस सबसे बड़े राज्य में कानून.व्यवस्था की ध्वस्तप्राय स्थिति को सिरे से बर्बाद कर देंगे। जमीन हड़पने वालेए सड़कों पर दबंगई करने वालेए निर्दोष लोगों का जीना हराम करने वाले तत्वों को इनसे मजबूती हासिल हो रही है।
दुर्भाग्य यह है कि राजनीतिक अमले.फैले की मौजूदगी में पुलिस द्वारा डंके की चोट पर की गई इस हत्या के खिलाफ राज्य में कोई बड़ा राजनीतिक प्रतिरोध भी खड़ा नहीं हो पा रहा है। उत्तर प्रदेश में तो यह परंपरा बन गई है कि बदनामी की हद पार हो जाने के बाद कोई पार्टी जिस भी व्यक्ति के खिलाफ ऐक्शन लेती हैए बाकी सभी पार्टियां उसे अपने भीतर लाने के लिए मुंह बाए खड़ी हो जाती हैं। ऐसे में राज्य का नागरिक समाज आगे आकर कुछ करेए तभी इस अंधेरगर्दी से निजात मिल सकती है।
SOURCE : http://navbharattimes.indiatimes.com/opinion/editorial/fade-metropolitan/articleshow/47692964.cms
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