ऊंची सोच
चीन के एक राजा क्यांग ने शुनशुनाओ नाम के एक व्यक्ति को तीन बार अपना मंत्री बनाया और तीन बार मंत्री पद से हटाया। पर राजा के इन फैसलों का शुनशुनाओ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। एक दिन विद्वान किनबू ने उनके इस अपार धैर्य का रहस्य पूछ ही लिया। शुनशुनाओ ने सहज होकर बतायाकृइसमें धैर्य की क्या बात है। जब मुझे मंत्री बनाया गया तो मैंने सोचा कि देश और राजा को अवश्य मेरे कौशल की जरूरत होगी। इसलिएए पद को अस्वीकार करना ठीक नहीं। जब मुझे हटाया गया तो मैंने सोचा कि राजकाज में शायद मेरी उपयोगिता नहीं रही होए इसलिए मैंने इसका भी बुरा नहीं माना। मंत्री पद मिलने से न मुझे कुछ मिला और इसके जाने से न मेरा कुछ गया। जो सम्मान मुझे मिलाए वह इस पद का थाए वह पद के साथ ही बना रहा। शुनशुनाओ की बात सुन किनबू मुग्ध हुए बिना न रह सका। उसने मन ही मन सोचाकृजो व्यक्ति इतनी ऊंची सोच रखता होए उसे भला किसी पद की क्या जरूरत।
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