न्याय की मिसाल
जहांगीर अपनी न्यायप्रियता के लिए जाने जाते थे। एक बार बेगम नूरजहां ने अपने महल की छत से एक पक्षी का बंदूक से निशाना लगाना चाहा। लेकिन निशाना चूक गया और धोबी के जा लगा। धोबी मर गया। धोबिन रोती.कलपती बादशाह जहांगीर के सामने आयी। सभी लोग यह जानने को उत्सुक थे कि बादशाह धोबिन को क्या न्याय देते हैंघ् बेगम नूरजहां भी चिक की ओट में बैठी सारा हाल सुन रही थी। बादशाह ने कहाए ष्राजा और प्रजाए न्याय सबके लिए है। बेगम नूरजहां की वजह से यह विधवा हो गई है। बेगम को दंड मिलना ही चाहिए।ष् यह कहकर बादशाह जहांगीर अपने हाथ में तलवार लेकर धोबिन के सामने जा खड़े हुए और सिर झुकाकर बोलेए ष्बहनए तुझे मेरी बेगम ने विधवा बनायाए तू मेरा सिर काटकर उसे विधवा बना दे। धोबिन बादशाह जहांगीर का न्याय देखकर दंग रह गयी और तलवार फेंककर बोलीए ष्महाराजए जिस देश में आप जैसा बादशाह होए उसका अस्तित्व तो युगों.युगों तक जीवित रहना चाहिए। मैं बेगम नूरजहां को माफ करती हूं।' इसके बाद बादशाह जहांगीर ने आजीवन उसकी पेंशन निश्चित कर दी।'
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