भूकंप और बेफिक्री
नेपाल और भारत के कई राज्यों में आए भयानक भूकंप से पूरी दुनिया को सदमा पहुंचा है। इससे सबसे ज्यादा तबाही नेपाल में हुई है और पड़ोसी देश होने के नाते भारत वहां जोर.शोर से राहत कार्य में जुटा हुआ है। हालांकि बचाव अभियान अभी तक काठमांडू और आसपास के इलाकों तक ही सीमित है। छोटे शहरों और गांवों काए जहां सबसे ज्यादा तबाही हुई हैए अभी तक हालचाल भी नहीं लिया जा सका हैए राहत तो बहुत दूर की बात है। बाहर से गई राहत वहां तक पहुंचाने की जरूरत हैए ताकि उन जगहों पर फंसे लोग भी इस बुरे सपने से बाहर आ सकें।
नेपाल में हालात इतने ज्यादा इसलिए बिगड़े हैं क्योंकि अन्य विकासशील देशों की तरह वहां भी आपदा.पूर्व प्रबंधन पर कुछ खास काम नहीं हुआ है। इस तबाही से भारत को भी सबक लेने की जरूरत है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि हमारे देश के 38 शहर हाई रिस्क जोन में आते हैं। अहमदाबाद स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ सीस्मोलॉजिकल रिसर्च के विशेषज्ञों का मानना है कि कश्मीरए हिमाचल प्रदेशए पंजाब और उत्तराखंड के नीचे भूकंपीय खाइयां मौजूद हैंए जिनके चलते यहां अगले 50 वर्षों के अंदर कभी.भी नेपाल जैसा भूकंप आ सकता है।
जाहिर हैए हमें बड़े स्तर पर एहतियाती उपाय करने होंगे। हालांकि वर्ष 2001 में गुजरात में आए भूकंप के बाद देश में इस मामले को लेकर जागरूकता कुछ हद तक बढ़ी है। बड़े शहरों में अब ज्यादातर भूकंप.रोधी इमारतें ही बन रही हैं। हाल में जो नई मल्टीस्टोरी रिहायशी कॉलोनियां बसी हैंए उनमें से ज्यादातर में कम से कम ढांचे के मामले में सारे एहतियाती उपाय किए गए हैं। फिर भी कई जगहों पर बिल्डिंग कोड का पालन नहीं होता। खासकर कम ऊंची इमारतों के मामले मेंए और वह भी निजी निर्माण में। ऐसा उन जगहों पर भी हो रहा हैए जो भूकंप के हिसाब से संवेदनशील मानी जाती हैं।
गौरतलब है कि 2005 में डिजास्टर मैनेजमेंट ऐक्ट बना। आज हमारे पास एनडीआरएफ ;राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बलद्ध की एक मजबूत टीम हैए जो पड़ोसी देशों तक को मदद पहुंचाने में सक्षम है। पर भूकंप को लेकर कोई राष्ट्रीय योजना हमारे पास नहीं है। 2013 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ;सीएजीद्ध की रिपोर्ट में इसके लिए सरकार की आलोचना भी की गई थी।
समय आ गया है कि भूकंप को लेकर एक राष्ट्रीय योजना पर काम किया जाए। जन.जागरूकता इसका एक अहम हिस्सा होना चाहिए। लोगों में अब भी भूकंप को लेकर कई तरह की गलतफहमियां हैं। बचाव के उनके तरीके गलत हैं। जैसे पिछले ही दिनों भूचाल आने पर लोग अपनी बिल्डिंगों से निकलकर उनके आसपास खड़े हो गएए जबकि ऐसा करना बेहद खतरनाक है। जापान की तरह हमारे यहां भी शिविर लगाकर या स्कूलों में कुछ बेसिक ट्रेनिंग दी जा सकती है।
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