Friday, 24 April 2015

ज़िंदगी का जादू

ज़िंदगी का जादू

मुझे अपने घर में फूल लगाने का बेहद शौक है और हर मौसम के फूल मेरे घर में ज़रूर खिलते हैं। कोई फूल तोड़े तो गुस्सा उमड़ता है। एक दिन मैंने खुद ही अपने बगीचे से बहुत दुर्लभ रंगों के गुलाब के सात.आठ फूल तोड़ेए उनका एक गुलदस्ता.सा बनाया और कांच के गिलास में जंचाकर अपने कमरे की मेज पर रख दिये। बहुत पास से उन्हें निहारा तो आनंद आ गया। कुदरत के करिश्मे के लिये मन में कलाकार उमड़ने लगा। उस दिन किसी निकटतम संबंधी ने मिलने आना था। मुझे लगा कि इन विरले फूलांे को देखकर आने वाले का दिल खिल जायेगा और उन्हें एहसास होगा कि खूब खास फूलों से उनका स्वागत हुआ है। इस बहाने फूलों की बात भी होगी। जनाब आयेए बैठेए चाय पीए कई विषयों पर चर्चा हुई और जाने लगे। फूलों का कोई जिक्र ही नहीं हुआ। विदा करते समय गेट पर मैंने पूछ ही लिया कि आपको हमारे फूल कैसे लगेघ् जवाब ने सन्नाटा पैदा कर दिया। बोलेकृकौन से फूलघ् मैंने कहाकृजो चाय वाली मेज पर रखे थे गुलाब के फूल। उत्तर में वे इतना ही कह पायेकृओह! सॉरीए मैंने नहीं देखे। इस टिप्पणी से कालजा फुंक.सा गया। अनेक बार हम प्राकृतिक रंग.रूप के जादू से कोसों दूर रह जाते हैं। मुझे तो समूचा जीवन किसी जादू से कम नज़र नहीं आता। जिन्दगी बेहद चकित करने वाली प्रतीत होने लगी है। हम देखेंए न देखें पर प्रकृति तो हर पल जादू दिखा ही रही है। आकाशए बादलए बूंदेंए बर्फए ओलेए आन्धीए तूफानए हवायेंए धूप.चांदनीए गर्मी.सर्दीए पतझड़ए वसन्त सब करामात लगते हैं। कलियां कब फूल बन गईं और फूलों ने कब फलों का दामन ओढ़ लियाए फलों के बीज कब में फिर पौधे बन कर वृक्ष बन गएए कोई माई का लाल इस रहस्य को भेद नहीं सका है। ऐन हमारे सामने हमारे बच्चे बढ़ते तथा फलते.फूलते हैं पर वे किस पल बढ़ेए वह अज्ञात है। ये तथ्य बहुत सम्मोहित करते हैं। इससे भी बड़ा मैजिक वह है जो औरतें रचती हैं। दानों की रोटियां बना देती हैंए कपड़ों से तरह.तरह की पोशाकेंए कच्ची सब्जियों से अनेक पकवान। ईंट.काठ के मकान को घर बना देती हैं। जिस महिला ने दूध से दही और मक्खन.घी बनाया होगाए वह क्या किसी जादूगर से कम रही होगीघ् दाल को बेल कर पापड़ बनाना क्या किसी मैजिक से कम हैघ् पर हम तभी दंग होते हैं जब कोई जादूगर टोपी में से कबूतर निकालता है।

No comments:

Post a Comment