सरकारी सपना और जमीनी सच
मोदी सरकार के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में से एक है स्मार्ट सिटी। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना की घोषणा कर दी है। प्रधानमंत्री स्मार्ट सिटी योजना के जरिये भारत के हर आदमी को आवास और सभी सुविधाएं देना चाहते हैं। उन्होंने हिंदुस्तान में सभी लोगों को घर देने के लिए साल 2022 का लक्ष्य रखा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहरी भारत की तस्वीर बदलने के मकसद से तीन बड़ी योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने आधुनिक सुविधाओं से युक्त स्मार्ट सिटी मिशनए पुनरुद्धार एवं शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन ;अमृतद्ध और सभी के लिए आवास मिशन का आगाज किया। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 100 शहरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा। सबके लिए आवास योजना में शहरी क्षेत्रों में निम्न और निम्न मध्यम वर्ग के लिए दो करोड़ आवास इकाइयां बनाई जाएंगी। अमृत मिशन में एक लाख से अधिक आबादी वाले 500 शहरों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। सरकार ने बजट में इसके लिए 7060 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया है।बहरहालए स्मार्ट सिटी के जो तमगे सिंगापुर या क्योतो या वेनिस को दिये गये हैंए वे हिंदुस्तान में लागू हो सकते हैं। दरअसलए किसी भी शहर की रूपरेखा में आठ महत्वपूर्ण विशेषताएं होती हैं। पहला है सरकारी प्रशासनए दूसरा ऊर्जा.पानीए बिल्डिंगए पर्यटनए यातायातए स्वास्थ्यए शिक्षा और सुरक्षा। ये ऐसे बिंदु हैं जो एक शहर में होने चाहिए। स्मार्ट का मतलब किसी शहर की आर्थिक तरक्की या तकनीकी तरक्की कतई नहीं है। निवासियों के रहन.सहन का स्तरए उन्हें मिलने वाली सुविधाएंए टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल जैसी कई चीजें मिलकर एक शहर को स्मार्ट बनाती हैं।
यह सही है कि हमारी कुल आबादी का महज 30.35 फीसदी हिस्सा शहरों में निवास करता हैए लेकिन भारत की कुल जीडीपी का तकरीबन 65 फीसदी हिस्सा इन्हीं से आता है। माना जा रहा है कि अगले 15 वर्षों में शहरों से हमारी कुल जीडीपी की तकरीबन 75 फीसदी आय अर्जित होगी। इससे पता चलता है कि भविष्य के हमारे आर्थिक विकास के लिए शहरों का कितना अधिक महत्व है।
यहां पर विचार करना आवश्यक है कि आखिर स्मार्ट सिटी का वास्तविक आशय क्या हैघ् जहां कुछ लोग सूचना और संचार तकनीक की मजबूत भूमिका की वकालत कर रहे हैं तो अन्य लोग इसके टिकाऊ होने के पहलू की चर्चा कर रहे हैं। इसी तरह कुछ लोग सेवाओं को उपलब्ध कराने के लिए निजी क्षेत्र के सहयोग से कुशलता बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं तो कुछ अन्य समावेशी विकास की बात कह रहे हैं ताकि सभी को इसका फायदा मिल सके। इसी तरह कुछ लोग हर समय सेवाओं की उपलब्धता पर जोर दे रहे हैं तो कुछ लोग सेवाओं की गुणवत्ता पर ध्यान देने को कह रहे हैं।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जिन शहरी इलाकों को शामिल किया जाएगा वहां 24 घंटे बिजली और पानी की व्यवस्था होगी। शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं होंगीए साइबर.कनेक्टिविटी और ई.गवर्नेन्स की सुविधा होगीए हाईटेक ट्रांसपोर्ट नेटवर्क बहाल किया जाएगा और नालियों और कचरा निपटान का सौ फ़ीसदी इंतज़ाम होगा।
लेकिन इसके प्रभावों से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि शहरों को मूल रूप से किस उद्देश्य से विकसित किया जा रहा है। शहरों को बेहतर बनाने के चक्कर में ऐसा न हो कि हम धरोहर ही खो बैठें। दूसरी तरफ निर्माण के दौरान पेड़ न कटें। 24 घंटे बिजली के लिए परमाणु ऊर्जा का सहारा लेना होगाए जिसके अपने ख़तरे हैं।
खैरए 2008 में जहां 34 करोड़ भारतीय शहरों में थेए वहीं 2030 तक इनकी तादाद बढ़कर 59 करोड़ होने का अनुमान है। ऐसे में बड़ी आबादी को शहरों में बसाने और उन्हें आजीविका मुहैया कराने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा शहरों की जरूरत होगी। साल 2030 तक 77 शहरों की आबादी दस लाख से अधिक होगी और 30 शहर 40 लाख की आबादी के साथ मेगा सिटी बन चुके होंगे। भारतीय शहरों को ष्स्मार्ट सिटीष् बना पाना आसान काम तो बिल्कुल नहीं होगा। सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि हमारे ज्यादातर पुराने शहर अनियोजित हैंए उनकी सही मैपिंग उपलब्ध नहीं है। इन शहरों की 70 से 80 फ़ीसदी आबादी अनियोजित इलाकों में रहती है। इन इलाकों में लगातार आवाजाही होती रही है। ऐसे में आप काम की शुरुआत भी कैसे कर पाएंगे।
शहरी विकास मंत्रालय ने ये तय कर दिया है कि सबसे ज्यादा 13 स्मार्ट सिटीज उत्तर प्रदेश में होंगे। तमिलनाडु के 12 और महाराष्ट्र के 10 शहरों को स्मार्ट सिटीज के तौर पर विकसित किया जाएगा। मध्य प्रदेश के 7 और गुजरात और कर्नाटक के 6.6 शहर स्मार्ट सिटीज बनेंगे। दुनिया भर में स्मार्ट सिटी को एक बिजनेस आइडिया के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। लेकिन एक बड़ी तस्वीर ये है कि दुनिया के कई देशों में पहले से ही स्मार्ट सिटी हैं तो भारत में ये बनें तो इसे एक अच्छी पहल ही कहा जाएगा।
SOURCE :http://dainiktribuneonline.com/2015/07
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