ग्रीस की राम.राम
ग्रीस यूरोजोन का हिस्सा बना रहेगा या इससे बाहर निकल कर अपनी पारंपरिक मुद्रा द्राख्मा की तरफ लौट जाएगा. पिछले दो वर्षों से जारी इस रोमांचक अटकलबाजी का किस्सा बीते इतवार को खत्म हो गया। एक बहुचर्चित जनमत संग्रह के बाद ग्रीस के लोगों ने भारी बहुमत से अपना फैसला सुना दिया. यूरोजोन के महारथी उन्हें अपनी बिरादरी में रखना चाहें तो रखेंए न रखना चाहें निकाल देंए लेकिन इसके लिए जो भयंकर शर्तें उन्होंने यूरोप के इस सीमावर्ती देश पर थोप रखी हैंए उन्हें यहां के लोग हरगिज नहीं मानने वाले।
एक देश के रूप में ये शर्तें ग्रीस के लिए जानलेवा साबित हो रही हैं। जहां पच्चीस फीसदी से ज्यादा लोग बेरोजगार होंए जिनके पास नौकरी है उन्हें भी तनख्वाह कट.फट कर मिल रही होए बूढ़े लोगों की पेंशन लगातार घट रही हो और जो मिले वह भी खैरात की तरह. इतनी निराशा के माहौल में कोई समाज कब तक जी सकता हैघ् जर्मनी और फ्रांस जैसी यूरोजोन की महाशक्तियों का कहना रहा है कि कर्ज लेकर हजम कर जाना कोई रास्ता नहीं है। लिहाजा ग्रीस या तो टैक्सों की उगाही बढ़ाकर और अपने सरकारी खर्चों में कटौती करके इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड और यूरोपियन कमर्शल बैंक से लिए गए कर्जों की अदायगी करेए या फिर खुद को दिवालिया घोषित करके अपने हाल पर जीना सीख ले।
इस धमकी को झेलते रहना ग्रीस के लोगों के लिए एक सीमा के बाद असंभव हो गया। उन्होंने तय किया कि आगे जो होगा सो होगाए अभी आर्थिक कठिनाइयों का सामना करते हुए अगर उन्होंने अपना आत्मसम्मान बचाकर रखा तो उनके बच्चे अमीरी में न सहीए गरीबी में ही सिर उठाकर जी तो सकेंगे। कर्जे की गाड़ियांए कर्जे के घरए कर्जे के साजो.सामान आखिर वे किसी से मांगने तो नहीं गए थे। अमीर यूरोपीय देशों ने अपनी ही योजना के तहत ग्रीस और कमजोर अर्थव्यवस्था वाले कई अन्य दक्षिणी यूरोपीय देशों को सस्ता कर्ज मुहैया कराया था ताकि वे इन्हें अपना बनाया सामान बेच सकें। इस चमकीली योजना का नाम यूरोजोन हो या कुछ औरए इसका कुल नतीजा यही निकला कि पूरी कुशलता से अपना काम करने वाले मेहनती लोग इतने बड़े कर्जों के बोझ तले दब गएए जिसे चुकाना दूर.दूर तक उनके बूते से बाहर है।
ग्रीस के इस स्पष्ट जनादेश के बाद एक रास्ता ग्रीस को चुपचाप यूरोजोन से बाहर कर देने का है। ऐसा हुआ तो इस देश के ज्यादातर बैंक बैठ जाएंगे और अगले कई सालों तक यहां की अर्थव्यवस्था को बहुत पुराने तरीकों से चलाना पड़ेगा। यूरोजोन को इसका नुकसान यह होगा कि इसकी छवि एक भुरभुरी चीज जैसी बन जाएगी। श्अगला नंबर किसकाश् ;बुल्गारियाए रोमानियाए मकदूनिया का या फिर स्पेनए पुर्तगालए इटली काद्ध जैसी तबाही पैदा करने वाली अटकलें तेज हो जाएंगी।
SOURCE :http://navbharattimes.indiatimes.com/
दूसरा रास्ता ग्रीस के लोगों के मन की बात सुननेए उनकी मुश्किलें कम करनेए ग्रीस को यूरोजोन में बनाए रखने की शर्तें नरम बनाने का है। उम्मीद करें कि यूरोजोन के महारथी इस दूसरे रास्ते पर ही बढ़ेंगे और विश्व अर्थव्यवस्था में शंकाओं का दौर खत्म हो जाएगा।
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