Wednesday, 8 July 2015

नये संकट की आहट महसूस कीजिए

नये संकट की आहट महसूस कीजिए

आतंकी संगठन आईएसआईएस अब पाक के कब्जे वाले कश्मीर में पांव जमाने की कोशिश कर रहा है। यह खबर काफ़ी पुख़्ता है क्योंकि इस बाबत पिछले सप्ताह सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आगाह किया है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जम्मू.कश्मीर में युवा वर्ग के हाथों में आईएस के झंडे लहराते नज़र आए हैं और वहीं अफगानिस्तान में तालिबान से भी दो.दो हाथ कर आईएस ने अपने पैर जमाने की कोशिश की है।
एक साल के भीतर इराक और सीरिया में अपना गढ़ जमाने के बाद लीबियाए ट्यूनीशियाए कुवैत में अपनी पहचान बनाने के लिए किए नरसंहार की खबरें सुर्ख़ियों में रही हैं। तुर्कीए इजिप्टए अफगानिस्तानए नाइजीरिया और सऊदी अरब में मौजूद अन्य आतंकी संगठनों से आईएस ने अपने हाथ मिला लिए हैं। लेकिन ये वे देश हैं जो मध्य एशिया में हैं और जहां मुस्लिम समुदाय में इस उग्रवादी संगठन को आम जनता को देश के खिलाफ भड़काना आसान रहा था।
यह कारवां अब पूर्व की ओर बढ़ रहा है। विश्व के सभी शक्तिशाली देश इस आतंकी संगठन से दो.दो हाथ करने के लिए सैनिक और हथियार जुटा रहे हैं। हवाई हमले हो रहे हैं। भाड़े के कट्टरपंथी इस गुट में शामिल होने के लिए अन्य देशों से आ रहे हैं।
पाक अधिकृत कश्मीर ;पीओकेद्ध में आईएसआईएस के काले झंडे नजर आने का औचित्य क्या हैघ् क्या इस देश की सरहद पर आतंकवाद का यह नया चेहरा अपनी पहचान सामने रखने की कोशिश में एकजुट हो रहा हैघ् सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक पहले से थीए जब इस झंडे ने पिछले साल जुलाई महीने में कश्मीर घाटी में अपनी शक्ल दिखाई थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि पीओके के मामले में सरकार को रणनीतिक नजरिया अपनाने के बारे में विचार करना चाहिए। पीओके में आतंकियों के बढ़ रहे दायरे से निपटने के लिए देश को तैयार रहना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि देश के किसी भी धार्मिक मुस्लिम नेता ने आईएसआईएस को समर्थन नहीं दिया है और सभी ने आईएस और अल कायदा के खिलाफ फतवे जारी किए। उनके अनुसार आईएसआईएस और अल कायदा देश में आतंकी हमले कर हिंसा फैला सकते हैंए लेकिन हमारा देश इतना मजबूत है कि वह ऐसे संगठनों से निपट सकेगा।
अब जो खबर पीओके से आयी हैए उससे सुरक्षा तंत्र को और चौकस रहने की जरूरत है। अब तक हम पाक समर्थित प्रशिक्षण शिविरों से निकले लड़ाकों से भिड़ते थेए लेकिन अब धीरे.धीरे इनके प्रशिक्षण में आईएसआईएस की बागडोर होने की गुंजाइश है। भारत में इसे पनपने देने के लिए कश्मीर की फ़िजां से बेहतर जगह और क्या मिल सकती हैए जहां अलगाववाद और पाकिस्तान की मदद से उग्रवादी और आतंकवादी पहले से ही जहर घोल रहे हैं। आईएस तो एक तरीके से इस आग में घी का काम करने पर उतारू है।
घाटी में 14 अगस्त को पाकिस्तान के झंडे लहराए जाते हैं। और सिर्फ़ झंडे दिखाकर ही युवकों को लुभाने की हिमाकत नहीं हो रही है। पर्दे के पीछे इस प्रदेश में युवकों को आकर्षित करने के लिए और भी हथकंडे हो रहे हैंए जिनका खुलासा सुरक्षा एजेंसियों की तफशीश के दायरे में शामिल है। एक नया विदेशी जेहाद भारत की धरती पर आने के लिए दस्तक दे रहा है।
सिर्फ़ कश्मीर में ही नहींए पूरे देश में इस ख़तरे से बचाव के लिए कारगर कदम उठाने पड़ेंगे। यदि किसी भी आतंकवादी गुट को भारत में पैर पसारने होंगे तो उसे अमूमन किसी न किसी पर निर्भर रहना होगा। ऐसा नहीं है कि सुरक्षा एजेंसियां कुछ नहीं कर रहीं। राष्ट्र के हित में आईबीए रॉए मिलिटरी इंटेलीजेंसए पुलिस इत्यादि में इस बात को लेकर चिंता बनी हुई है और खोजबीन का कार्य हो रहा है।
लेकिन हमें एक आम नागरिक की हैसियत से समझना होगा कि हमारे क्या कर्तव्य हैंघ् कुछ ताकतें हमारे बीच घुसपैठ करती हैंए हमारा भरोसा जीतती हैं और हमारी नाक के नीचे ही देश का नुकसान करने की कोशिश करती हैं। कमजोर दिमाग़ पैसे की खातिर कुछ भी करने को तैयार हो जाता है।
भारत में इसकी जड़ों के जमने से पहले ही इसे शुरुआती दौर में तुरंत रोकना होगाए एकजुट होकर इसका सामना करना पड़ेगा। मीडिया को भी सेहरा सिर्फ़ अपने सर बांधने के बजाय राष्ट्रविरोधी ताकतों के नापाक इरादों को उजागर करना होगा। आईएस को भारत में न जमने देने के लिए मिलकर प्रयत्न करने ही होंगेए तभी यह देश स्वच्छ भारत के राष्ट्रीय अभियान में सफल होगा।
देश में हम लश्करए जैशए अल बदर और हिज़्बुल मुजाहिदीन के कट्टरपंथी गुटों से लड़ रहे हैं। आईएस की स्थिति जो इस समय सीरिया और इराक़ में अपनी कहानी गढ़ रही हैए उसकी नजर इस देश पर न पड़ेए इसी में इस देश की भलाई है।
SOURCE : http://dainiktribuneonline.com/

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