स्वास्थ्य योजना के फंड में कटौती करेगी मोदी सरकार
महत्वाकांक्षी हेल्थ केयर योजना पर 5 सालों में करीब 1,100 अरब रुपये की अनुमानित लागत आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना के बजट में भारी कटौती करने को कहा है। ध्यान रहे कि पिछले महीने मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए आम बजट में सोशल सेक्टरों के लिए केंद्रीय फंड का प्रस्ताव बहुत ही कम रखा था।
पिछले साल स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ मिलकर यूनिवर्सल हेल्थ केयर पर पॉलिसी का मसौदा तैयार किया था। नैशनल हेल्थ अश्योरेंस मिशन नाम की इस योजना में भारत के 1.2 अरब लोगों को गंभीर बीमारियों के लिए मुफ्त दवा, जांच सेवा एवं इंश्योरेंस प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस योजना को अप्रैल 2015 से क्रियान्वित करने का प्रस्ताव रखा था और अक्टूबर में इस योजना पर 4 सालों तक आने वाला खर्च करीब 1,500 अरब रुपये बताया था।
सूत्रों ने बताया कि जनवरी में पीएम मोदी के समक्ष जब इस परियोजना को पेश किया गया तो कटौती के बावजूद 5 सालों में इस पर होने वाले खर्च की राशि करीब 1,100 अरब रुपये बताई गई। यह अनुमानित लागत फिर भी ज्यादा थी इसलिए इस कार्यक्रम को मंजूरी नहीं दी गई। अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय से पॉलिसी में सुधार करने के लिए कहा गया है लेकिन इस पर काम शुरू होना अभी बाकी है।
इस बारे में एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि अधिकारियों को इस बात से अवगत कराया गया है कि भारत के वित्तीय संसाधन पर अधिक बोझ है। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी जो स्वास्थ्य मंत्रालय में तो नहीं हैं, लेकिन उन्होंने उस मीटिंग में शिरकत की थी जिसमें पीए मोदी भी उपस्थित थे। जनवरी में मीटिंग संपन्न हुई और इसमें हुई चर्चा को सार्वजनिक नहीं किया गया था। चर्चे की संवेदनशीलता को देखते हुए सभी सूत्रों ने अपना नाम लिखे जाने से मना कर दिया।
सबसे बड़ी बात यह है कि मोदी सरकार ने पिछले साल चुनाव के दौरान वादा किया था कि स्वास्थ्य सेक्टर को उच्च वरीयता देंगे और युनिवर्सल हेल्थ अश्योरेंस प्लान बनाने का वादा किया था। उन्होंने पूर्व की यूपीए सरकार द्वारा शुरू की गई स्वास्थ्य स्कीमों को लोगों की बढ़ती हुई चिकित्सीय मांग को पूरा करने में असफल बताया था। लेकिन, अब जिस तरह से वह इस योजना के फंड में कटौती करने की मांग कर रहे हैं, उससे इस प्रोग्राम को प्रभावित होने की आशंका है।
क्या है प्रोग्राम
इस स्वास्थ्य योजना का ड्राफ्ट पीएम कार्यालय और विशेषज्ञों की एक कमिटी से परामर्श के बाद तैयार किया गया था।। विशेषज्ञों की कमिटी में वर्ल्ड बैंक के भी एक एक्सपर्ट शामिल थे। इस प्रस्ताव में उन बीमारियों को भी इंश्योरेंस के दायरे में लाने की बात कही गई, जिनके इलाज पर काफी खर्च होता है और गंभीर बीमारी होती है जैसे हार्ट सर्जरी या शरीर के किसी अंग का काम नहीं करना। दो सरकारी अधिकारियों ने बताया कि इस लाभ को योजना से वापस ले लिया जाएगा।
पिछले साल स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ मिलकर यूनिवर्सल हेल्थ केयर पर पॉलिसी का मसौदा तैयार किया था। नैशनल हेल्थ अश्योरेंस मिशन नाम की इस योजना में भारत के 1.2 अरब लोगों को गंभीर बीमारियों के लिए मुफ्त दवा, जांच सेवा एवं इंश्योरेंस प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस योजना को अप्रैल 2015 से क्रियान्वित करने का प्रस्ताव रखा था और अक्टूबर में इस योजना पर 4 सालों तक आने वाला खर्च करीब 1,500 अरब रुपये बताया था।
सूत्रों ने बताया कि जनवरी में पीएम मोदी के समक्ष जब इस परियोजना को पेश किया गया तो कटौती के बावजूद 5 सालों में इस पर होने वाले खर्च की राशि करीब 1,100 अरब रुपये बताई गई। यह अनुमानित लागत फिर भी ज्यादा थी इसलिए इस कार्यक्रम को मंजूरी नहीं दी गई। अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय से पॉलिसी में सुधार करने के लिए कहा गया है लेकिन इस पर काम शुरू होना अभी बाकी है।
इस बारे में एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि अधिकारियों को इस बात से अवगत कराया गया है कि भारत के वित्तीय संसाधन पर अधिक बोझ है। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी जो स्वास्थ्य मंत्रालय में तो नहीं हैं, लेकिन उन्होंने उस मीटिंग में शिरकत की थी जिसमें पीए मोदी भी उपस्थित थे। जनवरी में मीटिंग संपन्न हुई और इसमें हुई चर्चा को सार्वजनिक नहीं किया गया था। चर्चे की संवेदनशीलता को देखते हुए सभी सूत्रों ने अपना नाम लिखे जाने से मना कर दिया।
सबसे बड़ी बात यह है कि मोदी सरकार ने पिछले साल चुनाव के दौरान वादा किया था कि स्वास्थ्य सेक्टर को उच्च वरीयता देंगे और युनिवर्सल हेल्थ अश्योरेंस प्लान बनाने का वादा किया था। उन्होंने पूर्व की यूपीए सरकार द्वारा शुरू की गई स्वास्थ्य स्कीमों को लोगों की बढ़ती हुई चिकित्सीय मांग को पूरा करने में असफल बताया था। लेकिन, अब जिस तरह से वह इस योजना के फंड में कटौती करने की मांग कर रहे हैं, उससे इस प्रोग्राम को प्रभावित होने की आशंका है।
क्या है प्रोग्राम
इस स्वास्थ्य योजना का ड्राफ्ट पीएम कार्यालय और विशेषज्ञों की एक कमिटी से परामर्श के बाद तैयार किया गया था।। विशेषज्ञों की कमिटी में वर्ल्ड बैंक के भी एक एक्सपर्ट शामिल थे। इस प्रस्ताव में उन बीमारियों को भी इंश्योरेंस के दायरे में लाने की बात कही गई, जिनके इलाज पर काफी खर्च होता है और गंभीर बीमारी होती है जैसे हार्ट सर्जरी या शरीर के किसी अंग का काम नहीं करना। दो सरकारी अधिकारियों ने बताया कि इस लाभ को योजना से वापस ले लिया जाएगा।
source: NBT
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